Sunday, October 14, 2018

“थिएटर ऑफ़ रेलेवंस” के 6 क्लासिक नाटकों ने बदला भारतीय रंगमच का ‘चेतनात्मक’ परिदृश्य -मंजुल भारद्वाज

जन सहयोग और सहभगिता से “थिएटर ऑफ़ रेलेवंस” ने भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनसरोकारी मुद्दों को मंचित किया है ! 2012 में महिलाओं पर होने वाली ‘यौन हिंसा’ के खिलाफ़ नाटक “छेड़छाड़ क्यों?”, 2013 में मानवीय संवेदनाओं में ‘इंसानियत’ को खोजता हुआ,मनुष्य को भाषा,जेंडर,क्षेत्रवाद आदि जकड़नों के चक्रव्यहू से बाहर निकलता हुआ नाटक ‘गर्भ” , 2013 पानी के निजीकरण के ख़िलाफ़ नाटक “ड्राप बाय ड्राप :वाटर”, 2015 में कला और कलाकारों की उन्मुक्तता के लिए नाटक “अनहद नाद :Unheard Sounds of Universe”, 2017 आधी आबादी की न्यायसंगत पुकार “न्याय के भंवर में भंवरी’, 2018 भारतीय में राजनीति के परिदृश्य को बदलने वाला नाटक “राजगति” !




















दर्शक सहयोग और समर्थन से इन 6 क्लासिक नाटकों ने (“छेड़छाड़ क्यों?”, ‘गर्भ” , “ड्राप बाय ड्राप :वाटर”, “अनहद नाद :Unheard Sounds of Universe”, “न्याय के भंवर में भंवरी’ और “राजगति” )भारतीय रंगमच का ‘चेतनात्मक’ परिदृश्य बदला है!
सभी प्रतिबद्ध और समर्पित #कलाकारों का अभिनन्दन और शुभकामनाएँ! #थिएटरऑफ़रेलेवंस के प्रतिबद्ध #दर्शकों को सलाम!

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