मंजुल भारद्वाज, थिएटर ऑफ रेलेवेंस के शिल्पकार.
थिएटर ऑफ रेलेवेंस व्यक्ति के ऊपर थिएटर को बाहर से थोपने के बजाय व्यक्ति के भीतर से ही थिएटर को उदघाटित करता है .व्यक्ति को उसकी जड़ों से जोड़े रखकर उनकी जड़ताओं को तोड़ता है और उसके भीतर नई दृष्टि, संवेदना ,उमंग और विचार का संचार करता है.यही वजह है कि थिएटर ऑफ रेलेवेंस नाट्य पद्धति के माध्यम से थिएटर करनेवाले लोग बिना किसी सरकारी सहायता के सतत चुनौतियों से बिना घबराए, चुनौतियों से लड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं और थिएटर को सिर्फ कला न मानकर जीवन के बदलाव का माध्यम मानते हैं और स्वयं के जीवन को बदलने के साथ-साथ समाज को बदलने के लिए भी प्रतिबद्ध रहते हैं.
Monday, September 26, 2011
Monday, September 12, 2011
Theatre of Relevance -Manjul Bhardwaj
" इतिहास साक्षी है की व्यवस्था को सांस्कृतिक चेतना के द्वारा बनाया और टीकाया गया है क्यों न आज सांस्कृतिक चेतना के द्वारा व्यवस्था को बनाया और टीकाया जाए ! "
- मंजुल भारद्वाज
- मंजुल भारद्वाज
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