Theatre of Relevance
“Understanding Politics & Political processes”
Workshop from 10-14 Feb.2017
By
Theatre thinker Manjul Bhardwaj
At
Shantivan, Panvel (Mumbai)
Who can participate: All Citizens
who thinks they are the custodian of the largest ‘Democracy’ of the world!
Brief:
Politics influences & dictates our life every moment , but being a
‘civilized’ citizen we only vote and done away with our political
responsibility and rest of the time keep cursing “Politics is dirty , It ‘a
game of fraud, goons & cheaters! Politics is not our ‘cup of tea’… because
we are civilized? Let’s ponder on this Paradox: How could a democratic
political system is corrupt while its citizens are Honest? We are the custodian
of the largest ‘Democracy’ of the world. Let`s enhance our political
participation beyond as a voter to a changer maker of the rotten ‘Political system’.
This system is governed by fraud, goons & cheaters because; we ‘the
civilized’ are not participating in the political process. Let`s ‘clean our
‘Political system’ and fulfill our political duty of a Democracy! We have enhanced our participation by
organizing a five day workshop from 10-14 Feb, 2017 “Understanding Politics
& political processes” through Theatre of Relevance philosophy. This
residency will be facilitated by renowned theatre thinker Manjul Bhardwaj at
Shantivan, Panvel (Mumbai).Looking forward for your constructive participation.
थिएटर ऑफ़ रेलेवंस
“राजनीति’
विषय पर नाट्य पूर्वाभ्यास कार्यशाला
– पड़ाव -1
उत्प्रेरक – रंग चिन्तक
मंजुल भारद्वाज
कब : 10 -14 फरवरी , 2017
कहाँ : शांतिवन , पनवेल (
मुंबई)
सहभागी : वो सभी देशवासी जो
स्वयं को लोकतंत्र का पैरोकार और रखवाले समझते और मानते हैं
विवरण
हमारा जीवन हर पल ‘राजनीति’
से प्रभावित और संचालित होता है पर एक ‘सभ्य’ नागरिक होने के नाते हम केवल अपने
‘मत का दान’ कर अपनी राजनैतिक भूमिका से मुक्त हो जाते हैं और हर पर ‘राजनीति’ को
कोसते हैं ...और अपना ‘मानस’ बना बैठे हैं की राजनीति ‘गंदी’ है ..कीचड़ है ...हम
सभ्य हैं ‘राजनीति हमारा कार्य नहीं है ... आओ अब ज़रा सोचें की क्या बिना
‘राजनैतिक’ प्रकिया के विश्व का सबसे बड़ा ‘लोकतंत्र’ चल सकता है ... नहीं चल सकता
... और जब ‘सभ्य’ नागरिक उसे नहीं चलायेंगें तो ... बूरे लोग सत्ता पर काबिज़ हो
जायेगें ...और वही हो रहा है ... आओ ‘एक पल विचार करें ... की क्या वाकई राजनीति
‘गंदी’ है ..या हम उसमें सहभाग नहीं लेकर उसे ‘गंदा’ बना रहे हैं ... 10 -14 फरवरी , 2017 को “राजनीति’ विषय पर
नाट्य पूर्वाभ्यास कार्यशाला – पड़ाव 1 का आयोजन कर हमने एक सकारात्मक पहल की है .रंग
चिन्तक मंजुल भारद्वाज की उत्प्रेरणा में सभी सहभागी उपरोक्त प्रश्नों पर मंथन
करेगें . हम सब अपेक्षा करते हैं की ‘गांधी , भगत सिंह , सावित्री और लक्ष्मी बाई’ इस देश में पैदा तो हों पर
मेरे घर में नहीं ... आओ इस पर मनन करें और ‘राजनैतिक व्यवस्था’ को शुद्ध और सार्थक
बनाएं ! आपकी सहभागिता के प्रतीक्षारत !
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