Tuesday, July 21, 2015

European premier of three plays written & directed by Renowned theatre personality Manjul Bhardwaj

1.  "Drop by Drop: Water”

Play "Drop by Drop: Water " was performed 26 times in Kinder Kultur Karawane-2013 in Europe (Germany, Slovenia & Austria).
The play Drop by Drop: Water protests against privatization of water not only in India but across the globe. It brings all the governments face to face with the public opinion that "water is our natural & birth right". It also forces the governments to withdraw their policy of privatization of water by challenging multinational companies through public campaign & protest.

While emphasizing on conservation, reservation and perseverance of water, the play depicts the cultural dimension of water to the audience by showing how water nurtures the human culture & values. The play Drop by Drop: Water is the journey of origin, celebration and destruction of water. Our country has recently witnessed the cruel & destructive face of water through a calamity in Uttarakhand. This calamity is a warning for us that nature will not tolerate interference greedy & profit oriented human behavior in natural processes.
 In this 65 days European Tour in Kinder Kultur Karawane -2013 the group traveled 10,000 kilometers in Europe, performed “Drop by drop: Water”, 26 times and conducted  29 Theatre of Relevance workshops, in which approximately  5000 European audience & participants viewed performances and participated in TOR workshops in Kinder Kultur Karawane- 2013 . Wow , cherishing wonderful moments while thanking each and everyone who was a part of this magnificent life time achievement with my wonderful performers of “Drop by drop : water “Priyanka Rawat, Kajal Deobansi, Sayali Pawaskar, Malhar Pansre , Priyanka Vavhal, Kiran Pal & Ashwini Nandedkar !


 नाटक ड्राप बाय ड्राप : वाटर पानी के निजीकरण का भारत में ही नहीं दुनिया के किसी भी हिस्से में विरोध करता है और सभी सरकारों को जनमानस की  इस भावना कि पानी हमारा नैसर्गिक और जन्म सिद्द अधिकार है से रूबरू कराता है और जन आन्दोलन के माध्यम से बहुरास्ट्रीय कम्पनियों को खदेड़कर सरकार को पानी की  निजीकरण नीति वापस लेने पर मजबूर करता है।
नाटक जल बचाव , सुरक्षा और जल सवंर्धन पर जोर देते हुए कैसे संस्कृति और  मानव जीवन के मूल्यों को पानी सहेजता है, पानी के इस साँस्कृतिक पहलु से दर्शकों को अवगत कराता है । नाटक ड्राप बाय ड्राप : वाटर पानी की उत्पत्ति , उत्सव और विध्वंस की यात्रा है । पानी का विकराल और विध्व्न्सात्मक रुप अभी अभी देश ने उतराखंड में एक त्रसादी के रूप में झेला है जो हमें हर पल चेताता है की प्रकृति और प्राकृतिक प्रक्रिया में लालची और मुनाफाखोर मनुष्य के स्वभाव को प्रकृति बर्दाश्त नहीं करेगी !






 2. VISHWA – THE WORLD:

The play “Vishwa – The World" unfolds & explores the dreams, desires & aspirations of youth.  Who fights against all odds of life and comes out as Survivors. The play is performed 25 times at various cities in Germany

In the play youth questions their dreams and wonder – Will any one of them be able to actualize their dream. The dream of being – KABIR, ABRAHIM LINCOLN, SAVITRIBAI PHULE, JYOTIBA PHULE, MAHATAMA GANDHI, ALBERT EINSTEIN, WANGARI MAATHAI & AUNG SANG SYUKI?

3. B –7


The play B-7 depicts the story of 7 birds that are facing a threat for their survival. The birds decide to form a fact-finding committee to list out the threats to their survival. This way they enter in the human world and expose the reality of today’s world. How the children are being deprived from their childhood and how the globalization “Who are you to decide about us” is affecting the children in the world. In the end the birds committee suggest the world to save childhood and humanity. This was premiered in Germany. It is being performed in English, Hindi & German in 2000 & 2003.

Sunday, July 19, 2015

What is Theatre of Relevance ?

Theatre of Relevance (TOR) is a philosophy initiated & practiced by well known Theatre thinker Manjul Bhardwaj since 12 August, 1992 in India and all over the world. Theatre of Relevance envisages audience as first, foremost & strongest theatre person and then writer, director, performer follows. TOR brings out theatre from the cocoons of Entertainment to a way of empowerment and sees theatre as a way of living. TOR has proved that theatre is a process of constructive change and a volcano of revolution with its experiments all over the world. TOR rubbishes capitalistic approach “art for art sake” as escapist & opportunistic and commits it`s creative excellence to make the world more “Better & Humane”.

Fundamentals of Theatre of Relevance

 A Theatre that commits its creative excellence to make the world more “Better & Humane”.

• A Theatre relevant to the context of the society and owes its responsibility, not to Art just for the Art sake.

• A Theatre caters to human needs and provides itself as a platform for expression.

• A Theatre that explores itself as a medium of constructive change and/or development.

• A Theatre that comes out from the ‘limits of entertainment’ to a way of living & empowerment.









मंजुल भारद्वाज कौन है !

मंजुल भारद्वाज

“थिएटर ऑफ रेलेवेंस नाट्य सिद्धांत के सर्जक व प्रयोगकर्त्ता मंजुल भारद्वाज वह थिएटर शख्सियत हैं,  जो राष्ट्रीय चुनौतियों को न सिर्फ स्वीकार करते हैं, बल्कि अपने रंग विचार "थिएटर आफ रेलेवेंस" के माध्यम से वह राष्ट्रीय एजेंडा भी तय करते हैं। अभिनय और प्रदर्शन कौशल्य से संपन्न हैं और १६००० से ज्यादा बार मंच से पर एक अभिनेता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है  वह अभिनेता हैं, निर्देशक हैं,लेखक हैं, फेसिलिटेटर(उत्प्रेरक) और पहलकर्ता हैं। लेखक-निर्देशक के तौर पर २८  से अधिक नाटकों का लेखन और निर्देशन किया है। इन्होंने राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थियेटर ऑफ  रेलेवेंस सिद्धांत के तहत १००० ( एक हज़ार ) से अधिक नाट्य कार्यशालाओं का संचालन किया है। सिर्फ 'स्वांत: सुखाय' के लिए रंगकर्म करने वाले रंगकर्मी नहीं हैं, बल्कि रंगकर्म को जीवन की चुनौतियों के खिलाफ लड़ने वाला हथियार मानते हैं। इसलिए लीक का थिएटर करने के बजाय "थिएटर आफ रेलेवेंस" नाम से नया रंगसिद्धांत गढ़ा और भारत की गरीब बस्तियों से लेकर विदेश के सम्पन्न रंगप्रेमियों के बीच रंगकर्म के सफल प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 28 के करीब नाटक भी लिखे हैं, जिनके हजारों प्रदर्शन हो चुके हैं।


सिर्फ प्रदर्शनों और मनोरंजन तक सीमित मान लिए थिएटर को मंजुल भारद्वाज ने जीवन में बदलाव का माध्यम साबित करके दिखाया है.पिछले बीस वर्षों से सतत इस अभियान में जुटे मंजुल ने गरीब बस्तियों के बच्चों से लेकर विभिन्न स्कूलों-कॉलेजों के छात्रों और कॉर्पोरेट जगत के शीर्ष अधिकारियों तक के जीवन में थिएटर ऑफ रेलेवेंस नाट्य-पद्धति के माध्यम से बदलाव लाया है. मंजुल भारद्वाज अब शिक्षाजगत में बदलाव की मुहिम पर काम कर रहे हैं. छात्र,शिक्षक,पालक,स्कूल प्रशासक-व्यवस्थापक और ग्रामवासी मंजुल के निर्देशन में आयोजित थिएटर ऑफ रेलेवेंस नाट्य-कार्यशालाओं में सहभागिता कर शिक्षा के मूल्य, उद्देश्य, शिक्षक की भूमिका,गरिमा, स्कूल किसका, छात्र स्कूल क्यों आते हैं आदि विषयों पर नाटक कर उपर्युक्त विषयों को अंवेषित कर जीवन से जोड़ रहे हैं.

वह एक स्वप्नद्रष्टा हैं और सपनों को हकीकत में बदलने का कौशल्य व सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। उन्होंने 12 अगस्त 1992 को थियेटर ऑफ रेलेवेंस नामक दर्शन का सूत्रपात किया।
उन्हें कार्यशालाओं के संचालन के लिए विदेशों से बार-बार आमंत्रित किया जाता है। जर्मनी, ऑस्ट्रिया स्लोवेनिया और यूरोप के कई देशों के विभिन्न नाट्य समूहों, संस्थानों, विद्यालयों, संगठनों के लिए अनगिनत कार्यशालाओं का संचालन किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के बोस्टन की ब्रांडिस यूनिवर्सिटी ने अपने कई छात्रों को थियेटर ऑफ रेलेवेंस की प्रक्रियाओं, सिद्धांतों, अवधारणाओं और मूल आधार को जानने समझने के लिए भेजा है।
वह संभ्रांत अंतरराष्ट्रीय स्तर से लेकर भारत के महानगरों, नगरों, ग्रामीण व आदिवासी अंचलों में थियेटर के लिए पिछले 25 वर्षों से जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने 1992 में एक्सपेरिमेंटल थियेटर फाउंडेशन का गठन किया और भारत के थियेटर आंदोलन में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। एक्सपेरिमेंटल थियेटर फाउंडेशन थियेटर ऑफ़ रेलेवंसनाट्य दर्शन की रचनात्मक बदलाव की प्रयोगशाला है।
उन्होंने मुंबई सहित देश के विभिन्न भागों में बाल मजदूरों के साथ कार्य करके यह साबित किया है कि थियेटर बदलाव का माध्यम है। नाट्य प्रदर्शनों और प्रशिक्षणों के द्वारा 50 हजार से अधिक बाल मजदूरों का पुनर्वास किया है। उनके द्वारा लिखित नाटक मेरा बचपनका भारत से लेकर विदेश तक 12 हजार से अधिक बार प्रदर्शन किया जा चुका है। 
वह एचआईबी व एड्स पर प्रदर्शन टीम तैयार कर एचआईबी पीड़ित व प्रभावित बच्चों,युवाओं,स्त्रियों,तथा पुरुषों के साथ जीने के लिए मजबूत इच्छा शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण का भाव भरने का कार्य कर रहे हैं। 
समाज में सकारात्मक स्वधारणाओं व छवि का विकास कर तथा स्त्रियों की रूढ़िवादी समझ को तोड़कर मंजुल ने यौन शोषण और घरेलू हिंसा का शिकार हुई 15 सौ स्त्रियों के पुनर्वसन का सूत्रपात किया है।
उनका नाटक लाडलीजो लिंग चयन के मुद्दे पर आधारित है,इस समय पूरे भारतवर्ष में प्रदर्शन के माध्यम से आइओपनरकी भूमिका निभा रहा है। वह कठिन परिस्थितियों में रह रहे बच्चों, वंचित स्त्रियों और लड़कियों, किशोरों-किशोरियों, नीति निर्माताओं से लेकर नीति लागू करने वाले सरकारी अधिकारियों के साथ भी काम कर रहे हैं। 
मंजुल मानवीय प्रक्रियाओं के (उत्प्रेरक) प्रवर्तक और कॉर्पोरेट प्रशिक्षक हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट व प्रबंधन विकास में थियेटर ऑफ रेलेवेंस पर आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किया है। वह पिछले दो दशक से अधिक समय से थियेटर ऑफ रेलेवेंस पर आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल की खोज कर रहे हैं और प्रतिष्ठित सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की कंपनियों मसलन; ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, बीएचईएल, बीपीसीएल, टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, रिलायंस एनर्जी आदि में उसका प्रयोग कर रहे हैं।
इनके कॉन्सेप्ट मानव संसाधन में थियेटर ऑफ रेलेवेंस की भूमिकाका दिल्ली के ईएमपीआइ स्कूल में उदय पारीक एचआर लैब में मानव संसाधन प्रक्रिया सिखाने में शैक्षणिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। वह भारत व विदेश के कई संस्थानों, अकादमियों व संगठनों में विजिटिंग फॅकल्टी हैं। 
उन्हें उनके नाटक दूर से किसी ने आवाज दीके श्रेष्ठ अभिनेता को पुरस्कार मिला है। उनके नाटक बी-७”, “विश्व दा वर्ल्ड और ड्राप बाय ड्राप : वाटरके यूरोप में सौ से ज्यादा पर्दर्शन हुए हैं । उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा सिटिजन्स कॉन्सिल फॉर बेटर टुमौरोसे सम्मानित किया गया है।थियेटर की स्ट्रीट थियेटर श्रेणी में वर्ष 2006-07 में जेण्डर सेंसटिविटी के लिए उन्फपा-लाडली अवार्डसे सम्मानित किया गया है।


Manjul Bhardwaj’s new Marathi Play ‘Lok-Shastra Savitri ' the Yalgar of Samta !

  Manjul Bhardwaj’s new Marathi Play ‘Lok-Shastra Savitri ' the Yalgar of Samta ! - Kusum Tripathi When I received a call from my old fr...