“ थिएटर ऑफ़ रेलेवंस ”
“कलाकार की कलात्मक
चुनौतियां और प्रतिबद्धता”
कार्यशाला
“21-25 जनवरी,2017”
विश्वविख्यात रंग चिन्तक और
“ थिएटर ऑफ़ रेलेवंस ” नाट्य सिद्धांत के जनक मंजुल भारद्वाज “21-25 जनवरी,2017” तक होने वाली पांच दिवसीय
आवासीय कार्यशाला “कलाकार की कलात्मक चुनौतियां और प्रतिबद्धता” को
युसूफ मेहर अली सेंटर,पनवेल (मुंबई) में उत्प्रेरित करेंगें. “ थिएटर ऑफ़ रेलेवंस ”
नाट्य सिद्धांत की स्वयं और समूह के आत्म अनुभव आधारित कलात्मक प्रक्रिया में सहभागी
क्लासिक नाटक "अनहद नाद - Unheard sounds of Universe" से अपनी कलात्मक चुनौतियां से रूबरू होकर उनके निवारण के लिए
प्रकृति के सानिद्ध्य में अपने आपको खंगोलेगें और अपने अन्दर कलात्मक व्यक्तित्व को
खोजते हुए अपनी कलात्मक प्रतिबद्धता का संकल्प लेगें !
"थिएटर ऑफ
रेलेव्हन्स"
" कलाकारंची कलात्मक
आव्हानं आणि प्रतिबद्धता"
कार्यशाळा
२१ ते २५ जानेवारी
२०१७
जागतिक रंगचिंतक आणि "थिएटर ऑफ
रेलेव्हन्स" नाट्य सिद्धांताचे जनक मंजुल भारद्वाज २१
ते २५ जानेवारी २०१७ ह्या कालावधीत होणाऱ्या पाच दिवसीय निवासी कार्यशाळेत "कलाकारांच्या कलात्मक आव्हानांना आणि प्रतिबद्धतेला " युसूफ मेहेर अली सेंटर, पनवेल ( मुंबई ) येथे उत्प्रेरित
करतील . "थिएटर ऑफ रेलेव्हन्स" नाट्य सिद्धांताच्या स्वयं आणि समूहच्या आत्म अनुभव आधारित कलात्मक प्रक्रियेत
सहभागी classic नाटक " अनहद नाद Unheard
Sounds Of Universe ने आपल्या कलात्मक आव्हानांनसोबत एकरूप
होऊन निसर्गाच्या सानिध्यात आत्ममंथन प्रक्रियेद्वारे त्याचे समाधान शोधतील आणि
कलात्मक प्रतिबद्धतेचा संकल्प घेतील .
"Explore the Unheard of Art and Artist”
"Explore the Unheard of Art and Artist” 5
days residential Theatre Of Relevance Workshop from 21st to 25th January 2017 at Yusuf Maherally
Centre, Panvel. This artistic exploration workshop will be facilitated by
internationally renowned theatre thinker Manjul Bhardwaj. Explore the artistic
processes of body, mind and stage to understand and internalize the “Unheard of
Art and Artist” through Theatre Of Relevance philosophy. In this residency
participants will act as resource and explore the classic play "अनहद नाद - Unheard
sounds of Universe" to envision and explore themselves as performers on
the stage of real life as well as on artistic stage by experiencing, applying
and hypothesizing.
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