lhttp://bhadas4media.com/print/4938-2012-06-12-06-00-04.html
मंजुल भारद्वाज नामक यह शख्स एक चलता-फिरता थियेटर है जो वाम आंदोलन का हिमायती होते हुए भी उनके तौर-तरीकों का आलोचक है और कहता है कि वाम राजनीति को यदि ठीक-ठीक परिभाषित करना हो तो किसी किशोर उम्र बालक के एकतरफा मोहब्बत का दृष्टांत लिया जा सकता है, जहाँ चाहे जाने वाले को अपने पसंद किये जाने की खबर भी नहीं होती। वे कहते हैं कि यह वाम आंदोलन की रणनीतिक चूक है कि अपने देश के सर्वहारा को यह पता भी नहीं है कि कोई उससे इतनी मोहब्बत रखता है।
मंजुल भारद्वाज नामक यह शख्स एक चलता-फिरता थियेटर है जो वाम आंदोलन का हिमायती होते हुए भी उनके तौर-तरीकों का आलोचक है और कहता है कि वाम राजनीति को यदि ठीक-ठीक परिभाषित करना हो तो किसी किशोर उम्र बालक के एकतरफा मोहब्बत का दृष्टांत लिया जा सकता है, जहाँ चाहे जाने वाले को अपने पसंद किये जाने की खबर भी नहीं होती। वे कहते हैं कि यह वाम आंदोलन की रणनीतिक चूक है कि अपने देश के सर्वहारा को यह पता भी नहीं है कि कोई उससे इतनी मोहब्बत रखता है।
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